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स्पर्श भाग 2

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अभ्यास 1

अभ्यास 2

अभ्यास 3

अभ्यास 4

अभ्यास 5

 

 

 

अभ्यास 1

प्रश्न 1 निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से छांटिए।         

कालिदास उसी डाल को काट रहे थे, जिस डाल पर बैठे थे। विद्योत्तमा नामक विदुषी राजकन्या का मान भंग करने का षडयंत्र कर रहे तथाकथित विद्वान वर्ग को वह व्यक्ति (कालिदास) सर्वाधिक जड़मति और मूर्ख लगा। सो वे उसे कुछ लालच दे, ऊटपटाँग सिखा, महापंडित के वेश में सजाकर राज दरबार में ले गए। उस मूर्ख के मौन संकेतों की मनमानी व्याख्या कर षडयंत्रकारियों ने उस विदुषी से विवाह करा ही दिया। प्रथम रात्रि में ही वास्तविकता प्रकट हो जाने पर पत्नी के ताने से घायल हो कर घर से कालिदास निकल गए। कठिन परिश्रम और निरंतर साधना रूपी रस्सी के आने - जाने से घिसपिटकर महाकवि कालिदास घर लौटे। हमें अपने आस पास के प्रायः सभी जीवन क्षेत्रों में इस प्रकार के लोग मिल जाते हैं, जिन्हें देख कर सब दंग रह जाते हैं।

 

(क)  कालिदास की मूर्खता का प्रमाण था -

(1)  विदुषी कन्या से विवाह

(2)  पेड़ की डाली पर बैठना

(3)  जिससे शादी की उसे छोडकर जाना

(4)  जिस डाली पर बैठना उसी को काटना

 

(ख)  पंडित लोग कालिदास को विद्योत्तमा के पास ले गए क्योंकि -

 

(1)  कालिदास को विद्वान बनाना चाहते थे

(2)  मनमानी व्याख्या करना चाहते थे

(3)  विद्योत्तमा को नीचा दिखाना चाहते थे

(4)  दोनों का विवाह करना चाहते थे

 

(ग)  मूर्ख व्यक्ति किस प्रकार विद्वान बन गया?

(1)  पत्नी के प्रेम के कारण

(2)  घर छोड़कर भटकने के कारण

(3)  कठिन परिश्रम और निरंतर साधना से

(4)  विद्वानों की कृपा से

 

(घ)  अपने आस-पास क्या देखकर सब दंग रह जाते हैं?

(1)  हार मानने वालों को

(2)  अभ्यास करने वालों को

(3)  हार न मानने वाले लोगों को

(4)  कठिन परिश्रम व निरंतर साधना वालों को

 

(ङ)  इस अनुच्छेद का उचित शीर्षक दीजिए।

(1)  व्यंग की महिमा

(2)  जड़मति होत सुजान

(3)  मूर्खता

(4)  विद्वान वर्ग

 

अभ्यास 2

 

प्रश्न  निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से छाँटिए।         

समाज का पूर्ण विकास तब तक नहीं हो सकता , जब तक हमारे देश का एक-एक व्यक्ति शिक्षित नहीं हो जाता। शिक्षित किसान अच्छी खेती करने के साथ-साथ गाँवों के विकास में भी अपना योगदान दे सकते हैं। साक्षरता के अभाव में हमारे देश के किसान तथा मजदूर सदियों से अज्ञान और अंधविश्वास में डूबे हुए हैं। लोकतन्त्र में प्रजा ही शासक होती है। यदि राजा ही अनपढ़ और गँवार हो, तो वह देश की बागडोर कैसे संभाल सकता है? भारत को गाँवों का देश कहा जाता है। हमारे देश में अधिकतर लोग गाँवों में रहते हैं। इनमें किसानों और मजदूरों की संख्या सबसे अधिक है। अनपढ़ लोगों की सबसे अधिक संख्या भी इन्हीं की है। सबसे अधिक शोषण  अनपढ़ लोगों का ही होता है। चालाक व्यापारी, नेता और सरकारी अधिकारी सभी इनकी लाचारी का फायदा उठाते हैं। यदि देश के अनपढ़ पढ़ना-लिखना सीख जाएँ, तो जागरूक हो सकते हैं। वे अपना अच्छा बुरा सोच सकते हैं। वे चालाक व्यापारी, नेता और सरकारी अधिकारियों के चंगुल में फँसने से बच सकते हैं।   

 

(क)  हमारे देश के किसान तथा मजदूर सदियों से अज्ञान और अंधविश्वास में क्यों डूबे हुए हैं?

(1)  पढे लिखे न होने के कारण

(2)  धन न होने के कारण

(3)  बुद्धि न होने के कारण

(4)  परिश्रमी न होने के कारण

 

(ख)  समाज का सम्पूर्ण विकास कब हो सकता है?

(1)  जब सभी कृषि करें

(2)  जब सभी शिक्षित हों

(3)  जब सभी ईमानदार हों

(4)  जब सही की पहचान हो

 

(ग)  अंधविश्वास का अर्थ क्या है?

(1)  अंधों का विश्वास

(2)  विश्वास ही न करना

(3)  विश्वास अंधा होता है

(4)  बिना सोचे समझे विश्वास करना

 

(घ)  अच्छी खेती के लिए क्या आवश्यक है?

(1)  अच्छी कृषि भूमि

(2)  किसान का शिक्षित होना

(3)  सरकारी सहायता

(4)  अच्छा बाज़ार होना

 

(ङ)  चालाक लोग किसान-मजदूर की किस बात का फायदा उठाते हैं?

(1)  अशिक्षित होने का

(2)  अनुभवहीनता का

(3)  निर्धनता का

(4)  सीधेपन का

 

अभ्यास 3

 

 

प्रश्न  निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से छांटिए।         

मैं तो मात्र मृतिका हूँ

जब तुम मुझे पैरों से रौंदते हो

तथा हल के फाल से विदीर्ण करते हो

तब मैं धन-धान्य बनकर मातृरूपा हो जाती हूँ।

जब तुम मुझे हाथों से स्पर्श करते हो

तथा चाक पर चढ़ाकर घुमाने लगते हो

तब मैं कुंभ और कलश बनकर

जल लाती तुम्हारी अंतरंग प्रिया हो जाती हूँ।

जब तुम मुझे मेले में मेरे खिलौने रूप  पर

आकर्षित होकर मचलने लगते हो

तब मैं तुम्हारे शिशु हाथों में पहुँच प्रजा रूपा हो जाती हूँ।

 

(क) मृतिका मातृरूपा हो जाती है, जब वह -

(1)  धन-धान्य से पूर्ण हो

(2)  चाक पर चढ़ती है

(3)  कलश बनती है

(4)  खिलौना बनती है

 

(ख) हाथों का स्पर्श पाकर मृतिका क्या बन जाती है?

(1)  जल लाती मातृरूपा

(2)  कुंभ और कलश रूप में जल लाती प्रिया

(3)  मिट्टी

(4)  कुछ भी नहीं  

 

(ग) मिट्टी को हल के फाल से विदीर्ण करने पर मिट्टी कैसी बन जाती है?

(1)  उपजाऊ

(2)  ऊसर

(3)  पथरीली

(4)  मात्र तुच्छ मृत्तिका

 

(घ) कविता में मनुष्य की किस प्रवृति का उल्लेख किया गया है?

(1)  स्वार्थ

(2)  सुंदरता

(3)  पुरुषार्थी/परिश्रमी

(4)  कुरूपता

 

(ङ) मिट्टी के विभिन्न रूपों का निर्माणकर्ता कौन है?

(1)  ईश्वर

(2)  प्रकृति

(3)  मानव

(4)  परिस्थिति

 

अभ्यास 4

 

 

प्रश्न  निम्नलिखित काव्यांश को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से छांटिए।         

दूर-दूर तक फैली धरती, देखो कहे पुकार के

ओ वसुधा के रहने वालों, रहो सदा प्यार से।

नाम अलग हैं देश-देश के, पर वसुंधरा एक है,

फल-फूलों के रूप अलग पर भूमि उर्वरा एक है।

धरा बाँटकर हृदय न बाँटो, दूर रहो संसार से।

कभी न सोचो तुम अनाथ, एकाकी या निष्प्राण रे।

बूँद-बूँद करती है मिलकर सागर का निर्माण रे।

लहर लहर देती संदेश यह, दूर क्षितिज के पार से।

धर्म वही है जो करता मानव का उद्धार रे।

धर्म नहीं वह जो कि डाल दे, दिल में एक दरार रे।

करो न दूषित आँगन मन का नफ़रत की दीवार से।

सीमाओं को लाँघ न कुचलो, स्वतन्त्रता का शीश रे।

बमबारी की स्वरलिपि में मत लिखो शांति का गीत रे।

बँध न सकेगी लय गीतों की, ऐसे स्वर विस्तार से।

  (क) धरती पुकार कर क्या कह रही है?

 

(1)  सबके बारे में जानो

(2)  सबकी खबर जान लिया करो

(3)  मेरी बात सुन लिया करो

(4)  सदा प्यार से रहो

 

(ख) हृदय न बाँटोका अर्थ है: 

(1)  बँटवारा मत करो

(2)  भेदभाव पैदा मत करो

(3)  गाँवों को अलग न समझो

(4)  चुपचाप बैठे रहो

 

(ग) कौन-सा कथन एकता का सूचक है-

(1)  देश-देश के नाम अलग हैं

(2)  भूमि उर्वरा एक है

(3)  फल-फूलों के रूप अलग हैं

(4)  दूर-दूर तक फैली धरती

 

(घ) मन का आँगन कैसे दूषित होता है:

(1)  आँगन में रेखा खींच कर

(2)  गंदे काँटे फैलाकर

(3)  नफ़रत की दीवार खड़ी कर 

(4)  भेदभाव फैलाकर

 

(ङ) काव्यांश का शीर्षक होगा :

(1)  धरती कहे पुकार के

(2)  हृदय न बाँटो

(3)  नफरत की दीवार

(4)  सच्चा धर्म

 

अभ्यास 5

 

 

प्रश्न  निम्नलिखित अनुच्छेद को पढ़कर पूछे गए प्रश्नों के उत्तर दिए गए विकल्पों में से छांटिए।    

मनोरंजन से न केवल स्वस्थ शरीर एवं मानसिक चेतना संभव है, अपितु जीवन में संतुलन भी आता है। अतएव मनोरंजन के लिए जीवन में कुछ न कुछ समय निकालना आवश्यक है। कई लोग मनोरंजन को समय का अपव्यय मानते हैं। पर मनोरंजन के लिए समय निकालना और उस समय का कैसे इस्तेमाल किया जाए कि अधिक से अधिक आनंद प्राप्त हो, यह जानना सुखी और सफल जीवन के लिए अत्यावश्यक है। इसलिए सर्वप्रथम आवश्यकता इस बात की है कि आप मनोरंजन को गौण न समझें। उसे जीवन का अपना स्वत्व या अधिकार मान लें। वास्तविक मनोरंजन तभी संभव है, जब आपको यह चिंता न रहे कि आपके दैनिक व्यवसाय में क्या हो रहा है। यदि आपका आधा दिमाग उस में रहा तो किसी भी मनोरंजन से साधन से आपको पूर्ण मनोरंजन प्राप्त नहीं हो सकता। ऐसी मानसिक प्रकृति बनाने की आवश्यकता है कि मनोरंजन के समय मनोरंजन ही सर्वोपरि हो।    

(क)  स्वस्थ शरीर व मानसिक चेतना के साथ ही मनोरंजन से और क्या होता है?

 

(1)  जीवन में संभावना

(2)  जीवन में परचेतना

(3)  जीवन में संतुलन

(4)  जीवन में समय

 

(ख)  कई लोग मनोरंजन को क्या मानते हैं?

 

(1)  समय निकालना

(2)  समय का सही प्रयोग

(3)  संतुलन लाना

(4)  समय का अपव्यय

 

(ग)  गद्यांश का उचित शीर्षक क्या है?

 

(1)  चेतना

(2)  स्वास्थ्य

(3)  मनोरंजन

(4)  जीवन  

 

(घ)  सुखी और सफल जीवन के लिए क्या आवश्यक है?

 

(1)  समय निकालना

(2)  समय का अपव्यय करना

(3)  समय की चिंता करना

(4)  समय से अधिक आनंद प्राप्त करना

 

(ङ)  कैसी मानसिक प्रकृति बनाने की आवश्यकता है?

 

(1)  मनोरंजन अति आवश्यक

(2)  मनोरंजन के समय मनोरंजन

(3)  मनोरंजन को गौण न समझें

(4)  मनोरंजन को स्वत्व मान लें