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प्रश्न
1 - छाया भी कब छाया
ढूँढ़ने लगती
है? जेठ
के महीने में धूप
इतनी तेज होती
है कि सिर पर आने
लगती है जिससे
छाया छोटी होती
जाती है। इसलिए
कवि का कहना है
कि जेठ की दुपहरी
की भीषण गर्मी
में छाया भी छाया
ढूँढ़ने लगती
है। प्रश्न
2 - बिहारी की नायिका
यह क्यों कहती
है - कहिहै
सबु तेरौ
हियौ, मेरे हिय की बात-
स्पष्ट कीजिए। बिहारी
की नायिका अपने
प्रिय को संदेश
देना चाहती है
पर कागज पर लिखते
समय कँपकपी
और आँसू आ जाते
हैं। किसी के साथ
संदेश भेजेगी
तो कहते लज्जा
आएगी। इसलिए
वह सोचती है कि
जो विरह अवस्था
उसकी है, वही
उसके प्रिय की
भी होगी। अतः वह
कहती है कि अपने
हृदय की वेदना
से मेरी वेदना
को समझ जाएँगे। प्रश्न
3 - सच्चे मन में राम
बसते हैं−दोहे
के संदर्भानुसार
स्पष्ट कीजिए। बिहारी
जी ईश्वर प्राप्ति
के लिए धर्म कर्मकांड
को दिखावा समझते
थे। माला जपने, छापे लगवाना,
माथे पर तिलक
लगवाने से
प्रभु नहीं मिलते।
भगवान राम तो सच्चे
मन की भक्ति से
ही प्रसन्न होते
हैं। प्रश्न
4 - गोपियाँ
श्रीकृष्ण की
बाँसुरी क्यों
छिपा लेती हैं? कृष्ण
जी को अपनी बाँसुरी
बहुत प्रिय है।
वे उसे बजाते ही
रहते हैं। गोपियाँ
उनसे बातें करना
चाहती हैं। वे
कृष्ण को रिझाना
चाहती हैं। उनका
ध्यान अपनी और
आकर्षित करने
के लिए मुरली छिपा
देती हैं। प्रश्न
5 - बिहारी कवि ने
सभी की उपस्थिति
में भी कैसे बात
की जा सकती है, इसका वर्णन किस
प्रकार किया है?
अपने शब्दों
में लिखिए। बिहारी
ने बताया है कि
नायक और नायिका
सबकी उपस्थिति
में इशारों में
अपने मन की बात
करते हैं। नायक
ने सबकी उपस्थिति
में नायिका को
इशारा किया। नायिका
ने इशारे से मना
किया। इस पर नायक
रीझ गया। इस रीझ
पर नायिका खीज
उठी। दोनों के
नेत्र मिले, नायक प्रसन्न
था और नायिका की
आँखों में लज्जा
थी। प्रश्न
6 - मनौ नीलमनी-सैल
पर आतपु पर्यौ प्रभात। इस
पंक्ति में कृष्ण
के सौंदर्य का
वर्णन है। कृष्ण
के नीले शरीर पर
पीले रंग के वस्त्र
हैं। वे देखने
में ऐसे प्रतीत
होते हैं मानों
नीलमणी पर्वत
पर प्रातरूकालीन
धूप पड़ रही
है। प्रश्न
7 - जगतु तपोबन सौ कियौ दीरघ-दाघ निदाघ। ग्रीष्म
ऋतु की भीषण गर्मी
से पूरा जंगल तपोवन
बन गया है। सबकी आपसी
दुश्मनी समाप्त
हो गई है। साँप, हिरण और सिंह
सभी गर्मी से बचने
के लिए साथ रह रहे
हैं। प्रश्न
8 - जपमाला, छापैं,
तिलक सरै
न एकौ कामु। मन-काँचै नाचै
बृथा, साँचै राँचै रामु।। बिहारी
का मानना है कि
बाहरी आडम्बरों
से ईश्वर नहीं
मिलते। माला फेरने, हल्दी चंदन का
तिलक लगाने या
छापै लगाने
से एक भी काम नहीं
बनता। कच्चे
मन वालों का हृदय
डोलता रहता है।
वे ही ऐसा करते
हैं लेकिन राम
तो सच्चे मन से
याद करने वाले
के हृदय में रहते
हैं। |
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प्रश्न
- कवि ने कैसी
मृत्यु को सुमृत्यु
कहा है? उत्तर
- प्रत्येक मनुष्य
समयानुसार अवश्य
मृत्यु को प्राप्त
होता है क्योंकि
जीवन नश्वर है।
इसलिए मृत्यु
से डरना नहीं चाहिए
बल्कि जीवन में
ऐसे कार्य करने
चाहिए जिससे उसे
बाद में भी याद
रखा जाए। उसकी
मृत्यु व्यर्थ
न जाए। अपना जीवन
दूसरों को समर्पित
कर दें। जो केवल
अपने लिए जीते
हैं वे व्यक्ति
नहीं पशु के समान
हैं। प्रश्न
- उदार व्यक्ति
की पहचान कैसे
हो सकती है? उत्तर
- उदार व्यक्ति
परोपकारी होता
है। अपना पूरा
जीवन पुण्य व लोकहित
कार्यो में
बिता देता
है। किसी से भेदभाव
नहीं रखता, आत्मीय भाव रखता
है। कवि और लेखक
भी उसके गुणों
की चर्चा अपने
लेखों में करते
हैं। वह निज स्वार्थों
का त्याग कर जीवन
का मोह भी नहीं
रखता। प्रश्न
- कवि ने दधीचि
कर्ण, आदि महान
व्यक्तियों का
उदाहरण देकर मनुष्यता
के लिए क्या संदेश
दिया है? उत्तर
- कवि दधीचि, कर्ण आदि महान
व्यक्तियों का
उदाहरण देकर त्याग
और बलिदान का संदेश
देता है कि किस
प्रकार इन लोगों
ने अपनी परवाह
किए बिना लोक हित
के लिए कार्य किए।
दधीचि ने देवताओं
की रक्षा के लिए
अपनी हड्डियाँ
दान दी, कर्ण
ने अपना सोने का
रक्षा कवच दान
दे दिया, रति
देव ने अपना भोजनथाल ही
दे डाला, उशीनर ने
कबूतर के लिए अपना
माँस दिया इस तरह
इन महापुरुषों
ने मानव कल्याण
की भावना से दूसरों
के लिए जीवन दिया। प्रश्न
- मनुष्य मात्र
बंधु है से आप क्या
समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर
- मनुष्य मात्र
बंधु है से तात्पर्य
है कि सभी मनुष्य
आपस में भाई बंधु
हैं क्योंकि सभी
का पिता एक ईश्वर
है। इसलिए सभी
को प्रेम भाव से
रहना चाहिए, सहायता करनी
चाहिए। कोई पराया
नहीं है। सभी एक
दूसरे के काम आएँ। प्रश्न
- कवि ने सबको
एक होकर चलने की
प्रेरणा क्यों
दी है? उत्तर
- कवि ने सबको
एक होकर चलने की
प्रेरणा इसलिए
दी है जिससे सब
मैत्री भाव से
आपस में मिलकर
रहें क्योंकि
एक होने से सभी
कार्य सफल होते
हैं ऊँच-नीच, वर्ग भेद नहीं
रहता। सभी एक पिता
परमेश्वर की संतान
हैं। अतः सब एक
हैं। प्रश्न
- व्यक्ति को किस
प्रकार का जीवन
व्यतीत करना चाहिए? इस कविता के आधार
पर लिखिए। उत्तर
- कवि कहना चाहता
है कि हमें ऐसा
जीवन व्यतीत करना
चाहिए जो दूसरों
के काम आए। मनुष्य
को अपने स्वार्थ
का त्याग करके
परहित के लिए जीना
चाहिए। दया, करुणा, परोपकार
का भाव रखना चाहिए,
घमंड नहीं करना
चाहिए। यदि हम
दूसरों के लिए
जिएँ तो हमारी
मृत्यु भी सुमृत्यु
बन सकती है। प्रश्न
- “मनुष्यता“ कविता के माध्यम
से कवि क्या संदेश
देना चाहता है? उत्तर
- कवि इस कविता द्वारा
मानवता, प्रेम,
एकता, दया,
करुणा, परोपकार,
सहानुभूति,
सदभावना और उदारता का
संदेश देना चाहता
है। मनुष्य को
निःस्वार्थ जीवन
जीना चाहिए। वर्गवाद,
अलगाव को दूर
करके विश्व बंधुत्व की
भावना को बढ़ाना
चाहिए। धन होने
पर घमंड नहीं करना
चाहिए तथा खुद
आगे बढ़ने के साथ-साथ
औरों को भी आगे
बढ़ने की प्रेरणा
देनी चाहिए। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए
− सहानुभूति
चाहिए, महाविभूति है यही वशीकृता
सदैव है बनी हुई
स्वयं मही। विरुद्धवाद
बुद्ध का दया-प्रवाह
में बहा, विनीत
लोकवर्ग क्या
न सामने झुका रहा? उत्तर
- कवि ने एक दूसरे
के प्रति सहानुभूति
की भावना को उभारा है।
इससे बढ़कर कोई
पूँजी नहीं
है। यदि प्रेम, सहानुभूति,
करुणा के भाव
हो तो वह जग को जीत
सकता है। वह सम्मानित
भी रहता है। महात्मा
बुद्ध के विचारों
का भी विरोध हुआ
था परन्तु जब बुद्ध
ने अपनी करुणा,
प्रेम व दया
का प्रवाह किया
तो उनके सामने
सब नतमस्तक हो
गए। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए
− रहो
न भूल के कभी मदांध
तुच्छ वित्त में, सनाथ
जान आपको करो न
गर्व चित्त में। अनाथ
कौन है यहाँ? त्रिलोकनाथ साथ हैं, दयालु
दीनबंधु के बड़े
विशाल हाथ हैं। उत्तर
- कवि का कहना है
कि मनुष्य को कभी
भी धन पर घमंड नहीं
करना चाहिए। कुछ
लोग धन प्राप्त
होने पर स्वयं
को सुरक्षित व
सनाथ समझने लगते
हैं। परन्तु उन्हें
सदा सोचना चाहिए
कि इस दुनिया में
कोई अनाथ नहीं
है। सभी पर ईश्वर
की कृपा दृष्टि
है। ईश्वर सभी
को समान भाव से
देखता है। हमें
उस पर भरोसा रखना
चाहिए। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए
− चलो
अभीष्ट मार्ग
में सहर्ष खेलते
हुए, विपत्ति, विघ्न जो पड़ें उन्हें
ढकेलते हुए। घटे
न हेलमेल हाँ, बढ़े न भिन्नता
कभी, अतर्क
एक पंथ के सतर्क
पंथ हों सभी। उत्तर
- कवि संदेश देता
है कि हमें निरंतर
अपने लक्ष्य की
ओर बढ़ना चाहिए।
बाधाओं, कठिनाइयों को हँसते हुए,
ढकेलते हुए
बढ़ना चाहिए लेकिन
आपसी मेलजोल कम
नहीं करना चाहिए।
किसी को अलग न समझें, सभी पंथ व संप्रदाय
मिलकर सभी का हित
करने की बात करे,
विश्व एकता
के विचार को बनाए
रखे। प्रश्न
- कवि ने किन पंक्तियों
में यह व्यक्त
किया है कि हमें
गर्व-रहित जीवन
व्यतीत करना चाहिए? रहो
न भूल के कभी मदांध
तुच्छ वित्त में, सनाथ
जान आपको करो न
गर्व चित्त में। उत्तर
- उपरोक्त पंक्तियों
में कवि ने गर्व-रहित
जीवन व्यतीत करने
की प्रेरणा दी
है। कवि का कहना
है कि धन संपत्ति
आने पर घमंड नहीं
करना चाहिए। केवल
आप ही सनाथ नहीं
हैं। सभी पर ईश्वर
की कृपा दृष्टि
है। वह सभी को सहारा
देता है। |
|||||||||||||||
मधुर मधुर
मेरे दीपक जल |
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|
प्रश्न
- प्रस्तुत कविता
में दीपक और प्रियतम
किसके प्रतीक
हैं? उत्तर
- प्रस्तुत कविता
में दीपक ईश्वर
के प्रति आस्था
एवं आत्मा का और
प्रियतम उसके
आराध्य ईश्वर
का प्रतीक है।
कवयित्री दीपक
से जीवन की प्रत्येक
विषम परिस्थिति
से जूझ कर प्रसन्नतापूर्वक
ज्योति फैलाने
का आग्रह करती
है। वह प्रियतम
का पथ आलोकित करना
चाहती है। प्रश्न
- दीपक से किस बात
का आग्रह किया
जा रहा है और क्यों? उत्तर
- महादेवी
वर्मा ने दीपक
से यह प्रार्थना
की है कि वह निरंतर
जलता रहे। अर्थात
इसकी आस्था बनी
रहे। वह आग्रह
इसलिए करती हैं
क्योंकि वे अपने
जीवन में ईश्वर
का स्थान सबसे
बड़ा मानती हैं।
ईश्वर को पाना
ही उनका लक्ष्य
है। प्रश्न
- विश्व-शलभ दीपक
के साथ क्यों जल
जाना चाहता है? उत्तर
- विश्व-शलभ अर्थात
पतंगा दीपक के
साथ जल जाना चाहता
है। जिस प्रकार
पतंगा दीये के
प्रति प्रेम के
कारण उसकी लौ के
आस-पास घूमकर
अपना जीवन समाप्त
कर देता है, इसी प्रकार संसार
के लोग भी अपने
अहंकार को समाप्त
करके आस्था रुपी दीये
की लौ के समक्ष
अपना समर्पण करना
चाहते हैं ताकि
प्रभु को पा सके। प्रश्न
- आपकी दृष्टि में
मधुर मधुर
मेरे दीपक जल कविता
का सौंदर्य इनमें
से किस पर निर्भर
है (क)
शब्दों की आवृति
पर। (ख)
सफल बिंब अंकन
पर। उत्तर
- इस कविता की सुंदरता
दोनों पर निर्भर
है। पुनरुक्ति
रुप में शब्द का
प्रयोग है −
मधुर-मधुर, युग-युग, सिहर-सिहर,
विहँस-विहँस आदि कविता को
लयबद्ध बनाते
हुए प्रभावी बनाने
में सक्षम हैं।
दूसरी ओर बिंब
योजना भी सफल है।
विश्व-शलभ सिर
धुन कहता, मृदुल
मोम सा घुल
रे मृदु तन जैसे
बिंब हैं। प्रश्न
- कवयित्री किसका पथ आलोकित
करना चाह रही हैं? उत्तर
- कवयित्री अपने
मन के आस्था रुपी दीपक
से अपने प्रियतम
का पथ आलोकित करना
चाहती हैं। उनका
प्रियतम ईश्वर
है। प्रश्न
- कवयित्री को आकाश
के तारे स्नेहहीन
से क्यों प्रतीत
हो रहे हैं? कवयित्री
को आकाश के तारे
स्नेहहीन
नज़र आते हैं।
अर्थात मनुष्य
में एक दूसरे से
प्रेम और सौहार्द
की भावना समाप्त
हो गई है। उनमें
आपस में कोई स्नेह
नहीं है। इसलिए
उसे आकाश के तारे
स्नेहहीन
लगते हैं। प्रश्न
- पतंगा अपने क्षोभ
को किस प्रकार
व्यक्त कर रहा
है? उत्तर
- जिस प्रकार पतंगा
दीये की लौ में
अपना सब कुछ समाप्त
करना चाहता है
पर कर नहीं पाता, उसी तरह मनुष्य
अपना सर्वस्व
समर्पित करके
ईश्वर को पाना
चाहता है परन्तु
अपने अहंकार को
नहीं छोड़ पाता।
इसलिए पछतावा
करता है। प्रश्न
- मधुर-मधुर, पुलक-पुलक, सिहर-सिहर और
विहँस-विहँस,
कवयित्री ने
दीपक को हर बार
अलग-अलग तरह से
जलने को क्यों
कहा है? स्पष्ट
कीजिए। उत्तर
- कवयित्री अपने
आत्मदीपक
को तरह-तरह से जलने
के लिए कहती हैं
मीठी, प्रेममयी,
खुशी के साथ,
काँपते हुए,
उत्साह और प्रसन्नता
से। कवयित्री
चाहती है कि हर
परिस्थितियों
में यह दीपक जलता
रहे और प्रभु का
पथ आलोकित करता
रहे। इसलिए कवयित्री
ने दीपक को हर बार
अलग-अलग तरह से
जलने को कहा है। प्रश्न
- नीचे दी गई काव्य-पंक्तियों
को पढ़िए और
प्रश्नों के उत्तर
दीजिए − जलते
नभ में देख असंख्यक, स्नेहहीन
नित कितने दीपक; जलमय
सागर का उर जलता, विद्युत
ले घिरता है बादल! विहँस
विहँस मेरे
दीपक जल! (क)
स्नेहहीन
दीपक से क्या तात्पर्य
है? (ख)
सागर को जलमय कहने
का क्या अभिप्राय
है और उसका हृदय
क्यों जलता है? (ग)
बादलों की क्या
विशेषता बताई
गई है? (घ)
कवयित्री दीपक
को विहँस विहँस जलने
के लिए क्यों कह
रही हैं? उत्तर
- (क) स्नेहहीन
दीपक से तात्पर्य
बिना तेल का दीपक
अर्थात प्रभु
भक्ति से शून्य
व्यक्ति। (ख)
कवयित्री ने सागर
को संसार कहा है
और जलमय का अर्थ
है सांसारिकता
में लिप्त। अतः
सागर को जलमय कहने
से तात्पर्य है
सांसारिकता से
भरपूर संसार।
सागर में अथाह
पानी है परन्तु
किसी के उपयोग
में नहीं आता।
इसी तरह बिना ईश्वर
भक्ति के व्यक्ति
बेकार है। बादल
में परोपकार की
भावना होती है।
वे वर्षा करके
संसार को हराभरा
बनाते हैं तथा
बिजली की चमक से
संसार को आलोकित
करते हैं, जिसे देखकर सागर
का हृदय जलता है। (ग)
बादलों में जल
भरा रहता है और
वे वर्षा करके
संसार को हराभरा
बनाते हैं। बिजली
की चमक से संसार
को आलोकित करते
हैं। इस प्रकार
वह परोपकारी स्वभाव
का होता है। (घ)
कवयित्री दीपक
को उत्साह से तथा
प्रसन्नता से
जलने के लिए कहती
हैं क्योंकि वे
अपने आस्था रुपी दीपक
की लौ से सभी के
मन में आस्था जगाना
चाहती हैं। प्रश्न
- क्या मीराबाई
और आधुनिक मीरा
महादेवी वर्मा
इन दोनों ने अपने-अपने
आराध्य देव से
मिलने के लिए जो
युक्तियाँ अपनाई हैं, उनमें आपको कुछ
समानता या अतंर
प्रतीत होता है?
अपने विचार
प्रकट कीजिए? उत्तर
- महादेवी
वर्मा ने ईश्वर
को निराकार ब्रह्म
माना है। वे उसे
प्रियतम मानती
हैं। सर्वस्व
समर्पण की चाह
भी की है लेकिन
उसके स्वरुप
की चर्चा नहीं
की। मीराबाई
श्री कृष्ण को
आराध्य, प्रियतम
मानती हैं और उनकी
सेविका बनकर
रहना चाहती हैं।
उनके स्वरुप
और सौंदर्य की
रचना भी की है।
दोनों में केवल
यही अंतर है कि
महादेवी अपने
आराध्य को निर्गुण
मानती हैं और मीरा उनकी
सगुण उपासक हैं। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए- दे
प्रकाश का सिंधु
अपरिमित, तेरे
जीवन का अणु गल
गल! उत्तर
- कवयित्री का मानना
है कि मेरे आस्था
के दीपक तू जल-जलकर अपने
जीवन के एक-एक कण
को गला दे और उस
प्रकाश को सागर
की भाँति विस्तृत
रुप में फैला दे
ताकि दूसरे लोग
भी उसका लाभ उठा
सके। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए- युग-युग
प्रतिदिन प्रतिक्षण
प्रतिपल, प्रियतम
का पथ आलोकित कर! उत्तर
- इन पंक्तियों
में कवयित्री
का यह भाव है कि
आस्था रुपी
दीपक हमेशा जलता
रहे। युगों-युगों
तक प्रकाश फैलाता
रहे। प्रियतम
रुपी ईश्वर
का मार्ग प्रकाशित
करता रहे अर्थात
ईश्वर में आस्था
बनी रहे। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए- मृदुल
मोम सा घुल
रे मृदु तन! उत्तर
- इस पंक्ति में
कवयित्री का मानना
है कि इस कोमल तन
को मोम की भाँति
घुलना होगा तभी
तो प्रियतम तक
पहुँचना संभव
हो पाएगा। अर्थात
ईश्वर की प्राप्ति
के लिए कठिन साधना
की आवश्यकता है। |
|||||||||||||||
कर चले
हम फ़िदा |
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|
प्रश्न
- क्या इस गीत की
कोई ऐतिहासिक
पृष्ठभूमि है? उत्तर
- यह गीत सन् 1962 के
भारत-चीन युद्ध
की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि
पर लिखा गया है।
चीन ने तिब्बत की
ओर से आक्रमण किया
और भारतीय वीरों
ने इस आक्रमण का
मुकाबला वीरता
से किया। प्रश्न
- सर हिमालय का हमने
न झुकने दिया, इस पंक्ति में
हिमालय किस बात
का प्रतीक है? उत्तर
- हिमालय भारत के
मान सम्मान का
प्रतीक है। भारतीय
सैनिकों ने अपने
प्राण गवाँकर
देश के मान-सम्मान
को सुरक्षित रखा।
भारत के सैनिक
हर पल देश की रक्षा
हेतु बलिदान देने
के लिए तत्पर रहते
हैं। प्रश्न
- इस गीत में धरती
को दुल्हन क्यों
कहा गया है? उत्तर
- इस गीत में सैनिकों
और भारत की भूमि
को प्रेमी-प्रेमिका
के रुप में दर्शाया गया
है। जिस प्रकार
दूल्हे को दुल्हन
सबसे प्रिय होती
है, उसकी
सुरक्षा की ज़िम्मेदारी
वह बखूबी समझता
है, ठीक उसी
प्रकार इस धरती
रुपी दुल्हन
पर सैनिक रुपी
प्रेमी कभी विपत्ति
सहन नहीं कर सकते।
इसी समानता के
कारण भारत की धरती
को दुल्हन कहा
गया है। प्रश्न
- गीतों में ऐसी
क्या खास बात होती
है कि वे जीवन भर
याद रह जाते हैं? उत्तर
- जिन गीतों में
भावनात्मकता, मार्मिकता,
सच्चाई, गेयता,
संगीतात्मकता,
लयबद्धता आदि
गुण होते हैं,
वे गीत जीवन
भर याद रहते हैं।
“कर चले हम फ़िदा“ गीत
में बलिदान की
भावना स्पष्ट
रुप से झलकती है।
इसलिए यह किसी
एक विशेष व्यक्ति
का गीत न बनकर
सभी भारतीयों
का गीत बन गया। प्रश्न
- कवि ने साथियों
संबोधन का प्रयोग
किसके लिए
किया है? उत्तर
- कवि ने “साथियों”
शब्द का प्रयोग
सैनिक साथियों
व देशवासियों
के लिए किया है।
सैनिकों का मानना
है कि इस देश की
रक्षा हेतु हम
बलिदान की राह
पर बढ़ रहे हैं।
हमारे बाद यह राह
सूनी न हो जाए।
सभी सैनिकों व
देशवासियों
को इससे सतर्क
रहना होगा? प्रश्न
- कवि ने इस कविता
में किस काफ़िले
को आगे बढ़ाते रहने
की बात कही है? उत्तर
- कवि चाहता है कि
यदि सैनिकों की
टोली शहीद हो जाए, तो अन्य सैनिक
युद्ध की राह पर
बढ़ जाएँ। यहाँ
देश की रक्षा करने
वाले सैनिकों
के समूह के लिए
काफ़िले शब्द
का प्रयोग किया
गया है। प्रश्न
- इस गीत में “सर पर कफ़न
बाँधना“ किस
ओर संकेत करता
है? उत्तर
- “सर पर कफ़न
बाँधना“ का
अर्थ है - हँसते-हँसते
देश की रक्षा के
लिए अपने जीवन
को बलिदान करने
के लिए तैयार रहना।
वे शत्रुओं
का मुकाबला निडरता
पूर्वक करते हैं। प्रश्न
- इस कविता का प्रतिपाद्य
अपने शब्दों में
लिखिए? उत्तर
- अपने देश के सम्मान
और रक्षा के लिए
सैनिक हर चुनौतियों
को स्वीकार करके
अपने जीवन का बलिदान
करने के लिए तैयार
रहते हैं। अपनी
अंतिम साँस तक
देश के मान की रक्षा
कर उसे शत्रुओं
से बचाते हैं।
कवि इसमें देशभक्ति
को विकसित करके
देश को जागरुक
करना चाहता है। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए
− साँस
थमती गई, नब्ज़ जमती गई फिर
भी बढ़ते कदम को
न रुकने दिया उत्तर
- इन पंक्तियों
में कवि कैफ़ी
आज़मी ने भारतीय
जवानों के साहस
की सराहना की है।
चीनी आक्रमण के
समय भारतीय जवानों
ने हिमालय की बर्फ़ीली चोटियों पर
लड़ाई लड़ी।
इस बर्फ़ीली
ठंड में उनकी साँस
घुटने लगी, साथ ही तापमान
कम होने से नब्ज़ भी जमने लगी परन्तु
वे किसी भी बात
की परवाह किए बिना
आगे बढ़ते रहे और
हर मुश्किल का
सामना किया। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए
− खींच दो अपने
खूँ से ज़मीं पर लकीर इस
तरफ़ आने पाए
न रावन कोई उत्तर
-यह गीत की प्रेरणा
देने वाली पंक्तियाँ
हैं। कवि का भाव
है कि भारतभूमि
सीता की तरह पवित्र
है। अगर कोई शत्रु
रुपी रावण
उसकी तरफ़ बढ़ेगा तो अपने
खून से लक्ष्मण
(सैनिक) रेखा खींच
कर उसे बचाएँगे।
अतः देश की रक्षा
का भार उसी पर है। प्रश्न
- भाव स्पष्ट कीजिए
− छू
न पाए सीता का दामन
कोई राम
भी तुम, तुम्हीं लक्ष्मण साथियों उत्तर
- कवि सैनिकों को
कहना चाहता है
कि भारत का सम्मान
सीता की पवित्रता
के समान में है।
देश की रक्षा करना
तुम्हारा कत्र्तव्य
है। देश की पवित्रता
की रक्षा राम और
लक्ष्मण की तरह
करना है। अतरू
राम तथा लक्ष्मण
का कत्र्तव्य
भी हमें ही निभाना
है। प्रश्न
- इस गीत में कुछ
विशिष्ट प्रयोग
हुए हैं। गीत संदर्भ
में उनका आशय स्पष्ट
करते हुए अपने
वाक्यों में प्रयोग
कीजिए। कट
गए सर, नब्ज़ जमती गई, जान
देने की रुत, हाथ उठने लगे उत्तर
- 1. युद्ध क्षेत्र
में शत्रुओं
के कट जाए सर। 2. डर
के मारे सबकी
नब्ज़ जम गई। 3. शत्रु
के हमले की जानकारी
मिलते ही सब जान
गए कि यह जान देने
की रुत है। 4. स्टेज पर मंत्री
के आते ही जयकारे
के साथ हाथ उठने
लगे। |
|||||||||||||||
|
प्रश्न - कवि
किससे और क्या
प्रार्थना कर
रहा है? उत्तर - कवि
करुणामय ईश्वर
से प्रार्थना
कर रहा है कि उसे
जीवन की विपदाओं
से दूर चाहे ना
रखे पर इतनी शक्ति दे
कि इन मुश्किलों
पर विजय पा सके।
उसका विश्वास
अटल रहे। प्रश्न - विपदाओं से
मुझे बचाओं, यह मेरी प्रार्थना
नहीं −
कवि इस पंक्ति
के द्वारा क्या
कहना चाहता है? कवि का कहना
है कि हे ईश्वर
मैं यह नहीं कहता
कि मुझ पर कोई विपदा
न आए, मेरे
जीवन में कोई दुख
न आए बल्कि मैं
यह चाहता हूँ कि
मुझे इन
विपदाओं को
सहने की शक्ति
दें। प्रश्न - कवि
सहायक के न मिलने
पर क्या प्रार्थना
करता है? उत्तर - कवि
सहायक के न मिलने
पर प्रार्थना
करता है कि उसका
बल पौरुष न हिले, वह सदा बना रहे
और कोई भी कष्ट
वह धैर्य से सह
ले। प्रश्न - अंत
में कवि क्या अनुनय
करता है? उत्तर - अंत
में कवि अनुनय
करता है कि चाहे
सब लोग उसे धोखा
दे, सब दुख
उसे घेर ले पर ईश्वर
के प्रति उसकी
आस्था कम न हो,
उसका विश्वास
बना रहे। उसका
ईश्वर के प्रति
विश्वास कभी न
डगमगाए। प्रश्न - आत्मत्राण
शीर्षक की सार्थकता
कविता के संदर्भ
में स्पष्ट कीजिए। उत्तर - आत्मत्राण
का अर्थ है आत्मा
का त्राण अर्थात
आत्मा या मन के
भय का निवारण, उससे मुक्ति।
कवि चाहता है कि
जीवन में आने वाले
दुखों को वह निर्भय
होकर सहन करे।
दुख न मिले ऐसी
प्रार्थना वह
नहीं करता बल्कि
मिले हुए दुखों
को सहने,
उसे झेलने
की शाक्ति
के लिए प्रार्थना
करता है। इसलिए
यह शीर्षक पूर्णतया
सार्थक है। प्रश्न - अपनी
इच्छाओं की
पूर्ति के लिए
आप प्रार्थना
के अतिरिक्त और
क्या-क्या प्रयास
करते हैं?लिखिए। उत्तर - अपनी
इच्छाओं की
पूर्ति के लिए
प्रार्थना के
अतिरिक्त परिश्रम
और संघर्ष, सहनशीलता, कठिनाईयों का सामना करना
और सतत प्रयत्न
जैसे प्रयास आवश्यक
हैं। धैर्यपूर्वक
यह प्रयास करके
इच्छापूर्ण करने
की कोशिश करते
हैं। प्रश्न - क्या
कवि की यह प्रार्थना
आपको अन्य प्रार्थना
गीतों से अलग लगती
है? यदि हाँ,
तो कैसे? उत्तर -यह प्रार्थना
अन्य प्रार्थना
गीतों से भिन्न
है क्योंकि अन्य
प्रार्थना गीतों
में दास्य भाव, आत्म समर्पण,
समस्त दुखों
को दूर करके सुखशांति की
प्रार्थना, कल्याण, मानवता
का विकास, ईश्वर
सभी कार्य पूरे
करें ऐसी प्रार्थनाएँ
होती हैं परन्तु
इस कविता में कष्टों
से छुटकारा नहीं
कष्टों को सहने
की शक्ति के लिए
प्रार्थना की
गई है। यहाँ ईश्वर
में आस्था बनी
रहे, कर्मशील
बने रहने की प्रार्थना
की गई है। प्रश्न - भाव
स्पष्ट कीजिए
− नत शिर होकर
सुख के दिन में तव मुख पहचानूँ
छिन-छिन में। उत्तर - इन पंक्तियों
में कवि कहना चाहता
है कि वह सुख के
दिनों में भी सिर
झुकाकर ईश्वर
को याद रखना चाहता
है, वह एक
पल भी ईश्वर को
भुलाना नहीं चाहता। प्रश्न - भाव
स्पष्ट कीजिए
− हानि उठानी
पड़े जगत् में लाभ
अगर वंचना रही तो भी मन में
ना मानूँ क्षय। उत्तर - कवि
ईश्वर से प्रार्थना
करता है कि जीवन
में उसे लाभ मिले
या हानि ही उठानी पड़े
तब भी वह अपना मनोबल
न खोए। वह
उस स्थिति का सामना
भी साहसपूर्वक
करे। प्रश्न - भाव
स्पष्ट कीजिए
− तरने
की हो शक्ति अनामय मेरा भार अगर
लघु करके न दो सांत्वना
नहीं सही। उत्तर - कवि
कामना करता है
कि यदि प्रभु दुख
दे तो उसे सहने
की शक्ति भी दे।
वह यह नहीं चाहता
कि ईश्वर उसे इस
दुख के भार को कम
कर दे या सांत्वना
दे। वह अपने जीवन
की ज़िम्मेदारियों
को कम करने के लिए
नहीं कहता बल्कि
उससे संघर्ष करने, उसे सहने
की शक्ति के लिए
प्रार्थना करता
है। |
|||||||||||||||
|
निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
एक-दो पंक्तियों
में दीजिए − प्रश्न - काठगोदाम
के पास भीड़ क्यों
इकट्ठी हो
गई थी? उत्तर - ख्यूक्रिन
नाम के एक सुनार
को कुत्ते ने काट
लिया। उसने गिरते-पड़ते कुत्ते
की टांग को पकड़ा और चीखा ”मत जाने दो उसके
चीखने की आवाज़
सुनकर भीड़
इकट्ठी हो
गई। प्रश्न - उँगली ठीक
न होने की स्थिति
में ख्यूक्रिन
का नुकसान क्यों
होता? उत्तर - ख्यूक्रिन
का काम पेचीदा
था। बिना उँगुली
के कोई काम नहीं
हो पाता और इससे
उसका नुकसान होता। प्रश्न - कुत्ता
क्यों किकिया
रहा था? ख्यूक्रिन
ने कुत्ते की टांग
पकड़ ली थी और वह
उसे घसीट रहा था।
इसलिए कुत्ता
किकिया रहा
था। प्रश्न - बाज़ार
के चौराहे पर खामोशी
क्यों थी? उत्तर - बाज़ार में
दुकानें खुली
थी पर आदमी का नामोनिशान
नहीं था। पूरी
तरह से खामोशी
छाई थी। प्रश्न - जनरल साहब
के बावर्ची ने
कुत्ते के बारे
में क्या बताया? उत्तर - बावर्ची
ने कुत्ते के बारे
में बताया कि कुत्ता
जनरल साहब के भाई
का था। निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
(25-30 शब्दों में) लिखिए - प्रश्न - ख्यूक्रिन
ने मुआवज़ा
पाने की क्या दलील
दी? उत्तर - ख्यूक्रिन
ने मुआवज़ा
पाने के लिए स्वयं
को कामकाज़ी
बताते हुए दलील
दी कि उसका काम
पेचीदा है। हफ़्ते भर तक
वह काम नहीं कर
पाएगा, उसका
नुकसान होगा।
इसलिए कुत्ते
के मालिक से उसे
हरज़ाना दिलवाया जाए। प्रश्न - ख्यूक्रिन
ने ओचुमेलॉव
को उँगली ऊपर उठाने
का क्या कारण बताया? उत्तर - ख्यूक्रिन
ने ओचुमेलॉव
को उँगली उठाने
का कारण बताया
कि वह लकड़ी
लेकर अपना कुछ
काम निपटा रहा
था तब अचानक एक
पिल्ले ने आकर
उसकी उँगली काट
ली। इसलिए उसने
उँगली उठा रखी
है। प्रश्न - येल्दीरीन
ने ख्यूक्रिन
को दोषी ठहराते
हुए क्या कहा? उत्तर - येल्दीरीन
ओचुमेलॉव
की हाँ में हाँ
मिलाता था। उसने
कहा कि ख्यूक्रिन
शैतान किस्म का
व्यक्ति है। हमेशा
शरारत करता रहता
है। हो सकता है
इसने जलती सिगरेट
से कुत्ते की नाक
जला डाली हो। बिना
कारण कुत्ता किसी
को काटता नहीं
है। इस तरह उसने
ख्यूक्रिन
को दोषी ठहराया।
प्रश्न - ओचुमेलॉव
ने जनरल साहब के
पास यह संदेश क्यों
भिजवाया होगा
कि उनसे कहना कि
यह मुझे मिला और
मैंने इसे वापस
उनके पास भेजा
है? उत्तर - ओचुमेलॉव एक
चापलूस किस्म
का सिपाही था।
उसने यह संदेश
भिजवाया ताकि
वह जनरल साहब को
खुश कर सके, वे उसे एक बेहतर
इंस्पेक्टर माने
और साथ ही वह यह
भी बताना चाहता
था कि उसे जनरल
साहब और उनके कुत्ते
का कितना ख्याल
है। प्रश्न - भीड़ ख्यूक्रिन
पर क्यों हँसने
लगती है? उत्तर - ख्यूक्रिन
ने अपनी उँगली
काटने वाले कुत्ते
के मालिक से हरज़ाना देने
की बात कही तो पुलिस
वालों ने जनरल
साहब को खुश करने
के लिए दोष ख्यूक्रिन
के सिर मढ़
दिया। उगँली
आवारा कुत्ते
ने काटी थी।
तुरंत ख्यूक्रिन
की गलती उसी पर
थोप दी गई जिससे
सारी भीड़ हँसने
लगी। निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
(50-60 शब्दों में) लिखिए − प्रश्न - किसी कील-वील से उँगली
छील ली होगी−ऐसा
ओचुमेलॉव
ने क्यों कहा? उत्तर - ओचुमेलॉव चापलूस
सिपाही है। जब
ख्यूक्रिन
की उँगली कटती
है तो कुत्ते के
मालिक को भला बुरा
कहता है, उसे
मज़ा चखाने
तक की बात करता
है परन्तु जैसे
ही उसे पता चलता
है कुत्ता जनरल
साहब या उनके भाई
का है। वह एकदम
बदल गया और ख्यूक्रिन
को ही दोषी ठहराने
लगा कि किसी कील-वील से उँगली
छील ली होगी
और इल्ज़ाम
कुत्ते पर लगा
रहा है। ऐसा कहकर अपने
अफसरों को
खुश करने का तथ्य
सामने आता है। प्रश्न - ओचुमेलॉव
के चरित्र की विशेषताओं
को अपने शब्दों
में लिखिए। ओचुमेलाव
अत्यंत भ्रष्टाचारी, चालाक, स्वार्थी,
मौकापरस्त,
दोहरे व्यक्तित्व,
चापलूस और अस्थिर
प्रकृति का व्यक्ति
है। वह अवसर वादी
भी है। दुकानदारों
से जबरन चीज़ें
ऐठता है। कर्त्तव्य
निष्ठ नहीं है
फिर भी लोगों पर
रोब डालता है।
अपने लाभ के लिए
किसी के साथ भी
अन्याय कर सकता
है। अपने पद का
लाभ उठाने के लिए
वह ख्यूक्रिन
पर दोष लगाता है
और कुत्ते को ज़बरदस्ती जनरल
साहब के घर भिजवाता
है। प्रश्न - यह जानने
के बाद कि कुत्ता
जनरल साहब के भाई
का है−ओचुमेलॉव
के विचारों में
क्या परिवर्तन
आया और क्यों? उत्तर - ओचुमेलॉव पहले
तो कुत्ते को मरियल, आवारा, भद्दा
कहता है और गोली
मारने की बात करता
है परन्तु जैसे
ही उसे पता चलता
है कि यह जनरल साहब
के भाई का है - उसके
व्यवहार में परिवर्तन
आ जाता है। वह उसे
वह सुंदर डॉगी
लगने लगा। वह उस
श्खूबसूरत
नन्हे पिल्लेश्
को जनरल साहब तक
पहुँचाने
के लिए कहने लगा।
उसने ऐसा इसलिए
किया क्योंकि
वह जानता था कि
यह खबर जनरल साहब
तक पहुँचेगी
और वे खुश होंगे।
इससे उसे फायदा
होगा। प्रश्न - ख्यूक्रिन
का यह कहना कि मेरा
एक भाई भी पुलिस
में है.....। समाज
की किस वास्तविकता
की ओर संकेत करता
है? उत्तर - ख्यूक्रिन
का यह कथन कि मेरा
एक भाई भी पुलिस
में है इस बात को
स्पष्ट करता है
कि पुलिस में रिश्तेदार
हो तो किसी पर भी
रौब दिखाया
जा सकता है। पुलिस
में भाई, भतीजावाद पक्षपात, रिश्वतखोरी
आदि की सच्चाइयों
को बताना चाहता
है। जान-पहचान
के बल पर किस तरह
लाभ उठाया जा सकता
है। प्रश्न -इस कहानी
का शीर्षक गिरगिट
क्यों रखा होगा? क्या आप इस कहानी
के लिए कोई अन्य
शीर्षक सुझा सकते
हैं? अपने शीर्षक
का आधार भी स्पष्ट
कीजिए? इस कहानी का
शीर्षक गिरगिट
रखा गया है क्योंकि
गिरगिट समय के
अनुसार अपने को
बचाने के लिए रंग
बदल लेता है। उसी
प्रकार इंस्पेक्टर
भी मौका परस्त
है। पहले तो कुत्ते
को भला बुरा कहता
है, गोली
मारने की बात करता
है परन्तु जनरल
के भाई के कुत्ते
होने का पता लगते
ही वह बदल जाता
है। वह मरियल कुत्ता
सुन्दर डॉगी
हो जाता है और ख्यूक्रिन
को बुरा भला कहने
लगता है। इसका
नाम अवसरवादी,
बदलते रंग,
चापलूसी आदि
भी रखा जा सकता
है। प्रश्न - गिरगिट
कहानी के माध्यम
से समाज की किन
विसंगतियों
पर व्यंग्य किया
गया है? क्या
आप ऐसी विसगतियाँ
अपने समाज में
भी देखते हैं?
स्पष्ट कीजिए। उत्तर - गिरगिट
कहानी के माध्यम
से समाज की विसंगतियों
जैसे भ्रष्टाचार, रिश्वतखोरी,
भाई-भतीजावाद,
अवसरवादिता
आदि देखने को मिलती
है। कमज़ोर
व्यक्ति को अन्याय
सहना पड़ता है।
लोग अपने स्वार्थपूर्ति
के लिए चापलूसी
का सहारा लेते
हैं। पूरी शासन
व्यवस्था पक्षपात
पर टिकी है।
आदर्शों पर चलने
वाला व्यक्ति
मुसीबतें झेलता
है। प्रश्न - निम्नलिखित
का आशय स्पष्ट
कीजिए − उसकी आँसुओं
से सनी आँखों में
संकट और आतंक की
गहरी छाप थी। उत्तर - ख्यूक्रिन
ने कुत्ते को बुरी
तरह घसीटा
था जिससे उसकी
आँखों में आँसू
आ गए थे। वह डर से
काँप रहा था और
सहमा हुआ था। चूंकि
उसे यह नहीं पता
था कि यह किसका
कुत्ता है। परन्तु
वह कुत्ता जैसे
उसे आने वाले संकट
से सावधान करना
चाहता हो कि उसे
इस बदसलूकी की
सज़ा मिलेगी। कानून सम्मत
तो यही है..... कि सब
लोग अब बराबर हैं। उत्तर - ख्यूक्रिन
एक आम आदमी था।
जब यह पता चला कि
यह कुत्ता जनरल
का है तो वह कानून
की दुहाई देने
लगा कि कानून सबके
लिए बराबर होना
चाहिए। गरीब और
अमीर सबके लिए
बराबर होना चाहिए
तथा सबको न्याय
मिलना चाहिए। हुज़ूर
! यह तो जनशांति
भंग हो जाने जैसा
कुछ दीख रहा
है। उत्तर - बाज़ार में
सन्नाटा छाया
हुआ था। ख्यूक्रिन
के चीखने पर
भीड़ इकट्ठी
हो गई। ऐसा लग रहा
था मानो कोई दंगा
हो गया है। इस स्थिति
को निपटाने
के लिए चापलूस
सिपाही ने इंस्पेक्टर
से कहा कि जैसे
जनशांति भंग
होती है उसी तरह
उस समय शांति भंग
होती दिखाई दे
रही थी। |
|||||||||||||||
|
प्रश्न
- बड़े-बड़े बिल्डर
समुद्र को पीछे
क्यों धकेल रहे
थे? उत्तर
- प्रतिदिन आबादी
बढ़ रही है और बिल्डर नई-नई
इमरातें बनाने
के लिए वन जंगल
तो खतम कर ही रहे
हैं। साथ ही समुद्र
के किनारे इमारतें
बनाने के कारण
समुद्र को पीछे
किया जाता है। प्रश्न
- लेखक का घर किस
शहर में था? उत्तर
- लेखक का घर पहले
ग्वालियर
में था, फिर
बम्बई वर्सावा में
रहने लगे। प्रश्न
- जीवन कैसे घरों
में सिमटने
लगा है? उत्तर
- लेखक के अनुसार
अब जीवन डिब्बे
जैसे घरों में
सिमटने लगा
है। पहले बड़े-बड़े
घर दालान आँगन
होते थे, सब
मिलजुल कर रहते
थे, अब आत्मकेन्द्रित
हो गए हैं। इसलिए
लोग छोटे-छोटे
डिब्बे जैसे घरों
में सिमटने
लगे हैं। प्रश्न
- कबूतर परेशानी
में इधर-उधर क्यों
फड़फड़ा रहे
थे? उत्तर
- कबूतर के घोंसले
में दो अंडे
थे। एक बिल्ली
ने तोड़ दिया था
दूसरा बिल्ली
से बचाने के चक्कर
में माँ से टूट
गया। कबूतर इससे
परेशान होकर इधर-उधर
फड़फड़ा रहे
थे। निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
(25-30 शब्दों में) लिखिए - प्रश्न
- अरब में लशकर
को नूह के नाम से
क्यों याद करते
हैं? उत्तर
- लशकर को अरबवासी नूह
के रूप में याद
करते हैं। नूह
को पैगम्बर
या ईश्वर का दूत
भी कहा गया है।
इसलिए लशकर
को नूह के नाम से
याद किया जाता
है। उसके मन में
करूणा होती
थी। उनेक पावन
ग्रंथों में इनका
ज़िक्र मिलता
है। प्रश्न
- लेखक की माँ किस
समय पेड़ों
के पत्ते तोड़ने
के लिए मना करती
थीं और क्यों? उत्तर
- लेखक की माँ को
प्रकृति से बहुत
प्यार था। वे कहती
थीं कि दिन छिपने या सूरज
ढलने के बाद
पेड़ों को नहीं
छूना चाहिए। वे
रोते हैं, रात में फूल तोड़ने
पर वे श्राप देते
हैं। प्रश्न
- प्रकृति में आए
असंतुलन का क्या
परिणाम हुआ? उत्तर
- प्रकृति में आए
असंतुलन का कारण
निरंतर पेड़ों
का कटना, समुद्र
को बाँधना, प्रदूषण और बारूद
की विनाश लीला
है। जिसके कारण
भूकंप, अधिक
गर्मी, वक्त
बेवक्त की बारिश,
अतिवृष्टि,
साइकलोन आदि और अनेक बिमारियाँ
प्रकृति में आए
असंतुलन का परिणाम
है। प्रश्न
- लेखक की माँ ने
पूरे दिन रोज़ा
क्यों रखा? उत्तर
- लेखक के घर एक कबूतर
का घोंसला था जिसमें
दो अंडे थे।
एक अंडा बिल्ली
ने झपट कर तोड़ दिया, दूसरा अंडा
बचाने के लिए माँ
उतारने लगीं
तो टूट गया। इस
पर उन्हें दुख
हुआ। माँ ने प्रायश्चित
के लिए पूरे दिन
रोज़ा रखा और
नमाज़ पढ़कर
माफी माँगती रहीं। प्रश्न
- लेखक ने ग्वालियर
से बंबई तक किन
बदलावों को
महसूस किया? पाठ के आधार पर
स्पष्ट कीजिए। उत्तर
- लेखक पहले ग्वालियर में
रहता था। फिर बम्बई के वर्साेवा में
रहने लगा। पहले
घर बड़े-बड़े होते
थे, दालान
आंगन होते थे अब
डिब्बे जैसे घर
होते हैं, पहले
सब मिलकर रहते
थे अब सब अलग-अलग
रहते हैं, इमारतें
ही इमारतें हैं
पशु-पक्षियों
के रहने के लिए
स्थान नहीं रहे,
पहले अगर वे
घोंसले बना लेते
थे तो ध्यान रखा
जाता था पर अब उनके
आने के रास्ते
बंद कर दिए जाते
हैं। प्रश्न
- डेरा डालने से
आप क्या समझते
हैं? स्पष्ट
कीजिए। उत्तर
- डेरा डालने का
अर्थ है कुछ समय
के लिए रहना। बड़ी-बड़ी
इमारतें बनने
के कारण पक्षियों
को घोंसले बनाने
की जगह नहीं मिल
रही है। वे इमारतों
में ही डेरा डालने
लगे हैं। प्रश्न
- शेख अयाज़
के पिता अपने बाजू
पर काला च्योंटा
रेंगता देख भोजन
छोड़ कर क्यों उठ
खड़े हुए? उत्तर
-एक बार शेख अयाज़ के पिता
कुएँ पर नहाने
गए और वापस आए तो
उनकी बाजू पर काला
च्योंटा चढ़
कर आ गया। जैसे
ही वह भोजन करने
बैठे च्योंटा
बाजू पर आया तो
वे एक दम उठ कर चल
दिए माँ ने पूछा
कि क्या खाना अच्छा
नहीं लगा तो उन्होनें जवाब
दिया कि मैंने
किसी को बेघर कर
दिया है। उसे घर
छोड़ने जा रहा
हूँ। अर्थात वे
च्योंटे को
कुएँ पर छोड़ने चल दिए। निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
(50-60 शब्दों में) लिखिए − प्रश्न
- बढ़ती हुई आबादी
का पर्यावरण पर
क्या प्रभाव पड़ा? उत्तर
- पर्यावरण असंतुलित
होने का सबसे बड़ा
कारण आबादी का
बढ़ना है जिससे
आवासीय स्थलों
को बढ़ाने के लिए
वन, जंगल
यहाँ तक कि समुद्रस्थलों
को भी छोटा किया
जा रहा है। पशुपक्षियों
के लिए स्थान नहीं
है। इन सब कारणों
से प्राकृतिक
का सतुंलन
बिगड़ गया है
और प्राकृतिक
आपदाएँ बढ़ती
जा रही हैं। कहीं
भूकंप, कहीं
बाढ़, कहीं तूफान,
कभी गर्मी,
कभी तेज़ वर्षा
इन के कारण कई बिमारियाँ
हो रही हैं। इस
तरह पर्यावरण
के असंतुलन का
जन जीवन पर गहरा
प्रभाव पड़ा है। प्रश्न
- लेखक की पत्नी
को खिड़की मे
जाली क्यों लगवानी पड़ी? लेखक
के घर में कबतूर
ने घोंसला बना
लिया था जिसमें
दो बच्चे थे उनको दाना
खिलाने के
लिए कबूतर आया
जाया करते थे, सामान तोड़ा
करते थे। इससे
परेशान होकर लेखक
की पत्नी ने मचान
के आगे घोंसला
सरका दिया और वहाँ
जाली लगवा दी। प्रश्न
- समुद्र के गुस्से की
क्या वजह थी? उसने अपना गुस्सा
कैसे निकाला? उत्तर
- कई सालों से बिल्डर समुद्र
को पीछे धकेल रहे
थे और उसकी ज़मीन हथिया
रहे थे। समुद्र
सिमटता जा रहा
था। उसने पहले
टाँगें समेटी
फिर उकडू बैठा
फिर खड़ा हो
गया। फिर भी जगह
कम पड़ने लगी
तो वह गुस्सा हो
गया। उसने तीन
जहाज फेंक दिए।
एक वार्लीके
समुद्र के किनारे, दूसरा बांद्रा
मे कार्टर
रोड के सामने और
तीसरा गेट
वे ऑफ इंडिया पर
टूट फूट गया। प्रश्न
- मिट्टी मे
मट्टी मिले, खो के
सभी निशान, किसमें
कितना कौन है, कैसे
हो पहचान इन पंक्तियों
के माध्यम से लेखक
क्या कहना चाहता
है? स्पष्ट
कीजिए। उत्तर
- कवि का कहना है
कि हमारा शरीर
मिट्टी का बना
है और अन्त में
मिट्टी में ही
मिल जाना है। उसकी
अपनी कोई पहचान
शेष नहीं रहेगी।
अतः सबको मिलजुल
कर रहना चाहिए।
किसी से दुव्र्यवहार
नहीं करना चाहिए।
कोई बड़ा छोटा नहीं
है, अच्छा
बुरा नहीं है।
सबकी रचना
ईश्वर ने की है। निम्नलिखित
का आशय स्पष्ट
कीजिए − प्रश्न
- नेचर की सहनशक्ति
की एक सीमा होती
है। नेचर के
गुस्से का
एक नमूना कुछ साल
पहले बंबई में
देखने को मिला
था। उत्तर
- प्रकृति के साथ
मनुष्य खिलवाड़
करता रहा है। इसी
के कारण अतिवृष्टि
से विनाशकारी
बाढ़ों ने भयंकर
लीला की। समुद्र
की लहरों से उठता
जल भी अपना भयंकर
रूप यहाँ दिखा
चुका है। प्रश्न
- जो जितना बड़ा होता
है उसे उतना ही
कम गुस्सा आता
है। उत्तर
- महान तथा बड़े लोगों
में क्षमा करने
की प्रधानता होती
है। किसी भी व्यक्ति
की महानता क्रोध
कर दण्ड देने में
नहीं होती है बल्कि
किसी की भी गलती
को क्षमा करना
ही महान लोगों
की विशेषता होती
है। समुद्र महान
है। वह मनुष्य
के खिलवाड़
को सहन करता रहा।
पर हर चीज़
की हद होती है।
एक समय उसका क्रोध
भी विकराल रूप
में प्रदर्शित
हुआ। वैसे तो महान
व्यक्तियों की
तरह उसमें अथाह
गहराई, शांति
व सहनशक्ति है। प्रश्न
- इस बस्ती ने न जाने
कितने परिंदों-चरिंदों से
उनका घर छीन लिया
है। इनमें से कुछ
शहर छोड़कर
चले गए हैं। जो
नहीं जा सके हैं
उन्होंने यहाँ-वहाँ
डेरा डाल लिया
है। उत्तर
- बस्तियों
के फैलाव से पेड़
कटते गए और पक्षियों के
घर छिन गए। कुछ
तो जातियाँ
ही नष्ट हो गईं। कुछ पक्षियों ने
यहाँ इमारतों
में डेरा जमा लिया। प्रश्न
- शेख अयाज़
के पिता बोले, नहीं, यह बात
नहीं हैं। मैंने
एक घर वाले को बेघर
कर दिया है। उस
बेघर को कुएँ
पर उसके घर छोड़ने जा रहा
हूँ। इन पंक्तियों
में छिपी हुई उनकी
भावना को स्पष्ट
कीजिए। उत्तर
- शेख अयाज़
के पिता बोले, नहीं, यह बात
नहीं हैं। मैने
एक घर वाले को बेघर
कर दिया है। उस
बेघर को कुएँ
पर उसके घर छोड़ने जा रहा
हूँ। इन पंक्तियों
में उनकी यह भावना
छिपी हुई थी कि
वे पशु-पक्षियों
की भावनाओं को
समझते थे। वे चीटें को भी
घर पहुँचाने
जा रहे थे। उनके
लिए मनुष्य पशु-पक्षी
एक समान थे। वे
किसी को भी तकलीफ
नहीं देना चाहते
थे। |
|||||||||||||||
|
प्रश्न
- शुद्ध सोना और
गिन्नी का सोना
अलग क्यों होता
है? उत्तर
- शुद्ध सोने में
थोड़ा-सा ताँबा
मिलाकर गिन्नी
बनता है। ऐसा
करने से सोना चमकता
है। प्रश्न
- प्रेक्टिकल
आइडियालिस्ट
किसे कहते
हैं? जो
लोग आदर्श बनते
हैं और व्यवहार
के समय उन्हीं
आर्दशों को
तोड़ मरोड़ कर
अवसर का लाभ उठाते
हैं, उन्हें
प्रेक्टिकल
आइडियालिस्ट
कहते हैं। प्रश्न
- पाठ के संदर्भ
में शुद्ध आदर्श
क्या है? उत्तर
- शुद्ध आदर्श का
अर्थ है जिसमें
लाभ हानि सोचने
की गुजांइश
नहीं होती है। प्रश्न
- लेखक ने जापानियों
के दिमाग में स्पीड का इंजन
लगने की बात क्यों
कही है? उत्तर
- जापानी लोग उन्नति
की होड़ में
सबसे आगे हैं।
इसलिए लेखक ने
जापानियों
के दिमाग में स्पीड का इंजन
लगने की बात कही
है। प्रश्न
- जापानी में चाय
पीने की विधि को
क्या कहते हैं? उत्तर
- जापानी में चाय
पीने की विधि, जिसे टी
सेरेमनी कहा
गया है, चा-नो-यू कहते
हैं। प्रश्न
- जापान में जहाँ
चाय पिलाई जाती
है, उस स्थान
की क्या विशेषता
है? उत्तर
- जापान में जहाँ
चाय पिलाई जाती
है, वहाँ
की सजावट पारम्परिक
होती है। वहाँ
अत्यन्त शांति
और गरीमा के
साथ चाय पिलाई
जाती है। शांति
उस स्थान की मुख्य
विशेषता है। निम्नलिखित
प्रश्न के उत्तर
(25-30 शब्दों में) लिखिए− प्रश्न
- शुद्ध आदर्श की
तुलना सोने से
और व्यावहारिकता
की तुलना ताँबे
से क्यों की गई
है? उत्तर
- शुद्ध सोने में
किसी प्रकार की
मिलावट नहीं की
जा सकती। ताँबे
से सोना मजबूत
हो जाता है परन्तु
शुद्धता समाप्त
हो जाती है। इसी
प्रकार व्यवहारिकता
में शुद्ध आर्दश
समाप्त हो जाते
हैं। सही भाग में
व्यवहारिकता
को मिलाया जाता
है तो ठीक रहता
है। प्रश्न
- चाजीन ने
कौन-सी क्रियाएँ
गरिमापूर्ण ढंग
से पूरी कीं? उत्तर
- चाजीन द्वारा
अतिथियों
का उठकर स्वागत
करना, आराम
से अँगीठी सुलगाना,
चायदानी रखना, चाय
के बर्तन लाना,
तौलिए से पोछ कर
चाय डालना आदि
सभी क्रियाएँ
गरिमापूर्ण,
अच्छे व सहज
ढंग से कीं। प्रश्न
- टी-सेरेमनी
में कितने आदमियों
को प्रवेश दिया
जाता था और क्यों? उत्तर
- भाग-दौड़ की ज़िदंगी से
दूर भूत-भविष्य
की चिंता छोड़कर
शांतिमय वातावरण
में कुछ समय बिताना
इस जगह का उद्देश्य
होता है। इसलिए
इसमें केवल तीन
आदमियों को
प्रवेश दिया जाता
था। प्रश्न
- चाय पीने के बाद
लेखक ने स्वयं
में क्या परिवर्तन
महसूस किया? उत्तर
- चाय पीने के बाद
लेखक ने महसूस
किया कि उसका दिमाग
सुन्न होता जा
रहा है, उसकी
सोचने की शक्ति
धीरे-धीरे मंद
हो रही है। इससे
सन्नाटे की
आवाज भी सुनाई
देने लगी। उसे
लगा कि भूत-भविष्य
दोनों का चिंतन
न करके वर्तमान
में जी रहा हो।
उसे बहुत सुख मिलने
लगा। निम्नलिखित
प्रश्न के उत्तर
(50-60 शब्दों में) लिखिए− प्रश्न
- गाँधीजी
में नेतृत्व की
अद्भुत क्षमता
थी; उदाहरण
सहित इस बात की
पुष्टि कीजिए? उत्तर
- गाँधीजी
में नेतृत्व की
अद्भुत क्षमता
थी। यह आन्दोलन
व्यावहारिकता
को आदर्शों के
स्वर पर चढ़ाकर
चलाया गया। इन्होंने
कई आन्दोलन
चलाए −
भारत छोड़ो
आन्दोलन, दांडी मार्च, सत्याग्रह,
असहयोग आन्दोलन
आदि। उनके साथ
भारत की सारी जनता
थी। उन्होंने
अहिंसा के मार्ग
पर चलकर पूर्ण
स्वराज की स्थापना
की। भारतीयों
ने भी अपने नेता
के नेतृत्व में
अपना भरपूर सहयोग
दिया और हमें आज़ादी मिली। प्रश्न
- आपके विचार से
कौन-से ऐसे मूल्य
हैं जो शाश्वत
हैं? वर्तमान
समय में इन मूल्यों
की प्रांसगिकता
स्पष्ट कीजिए। उत्तर
- ईमानदारी, सत्य, अहिंसा,
परोपकार, परहित, कावरता, सहिष्णुता आदि
ऐसे शाश्वत मूल्य
हैं जिनकी प्रांसगिकता
आज भी है। इनकी
आज भी उतनी
ही ज़रूरत है
जितनी पहले थी।
आज के समाज को सत्य
अहिंसा की अत्यन्त
आवश्यक है। इन्हीं मूल्यों
पर संसार नैतिक
आचरण करता है।
यदि हम आज भी परोपकार,
जीवदया,
ईमानदारी के
मार्ग पर चलें
तो समाज को विघटन
से बचाया जा सकता
है। प्रश्न
- अपने जीवन की किसी
ऐसी घटना का उल्लेख
कीजिए जब− (1)
शुद्ध आदर्श
से आपको हानि-लाभ
हुआ हो। (2)
शुद्ध आदर्श
में वायवहारिकता
का पुट देने से
लाभ हुआ हो। शुद्ध
आदर्श अपनाने
से हम पर लोगों
का विश्वास बढ़ता
है, हम सम्मान
पा सकते हैं। उत्तर
- (1)
छात्र स्वयं
अपनी घटना दिए
गए तरीके से लिख
सकते हैं − मेरे
जीवन में एक बार
घटना हुई कि मैंने
मास्टर जी
से चोरी करने वाले
लड़के की शिकायत
कर दी। मास्टर
जी तो प्रसन्न
हुए परन्तु लड़के
ने छुट्टी के बाद
अपने साथियों
के साथ मिलकर मेरी
हड्डियाँ
तोड़ दी मुझे प्लास्टर
तो बंधा ही पैसे
भी खर्च हुए, साथ ही एक महिना छुट्टी
ले कर रहना पड़ा। (2)
व्यवहार में
व्यवहारिकता
लाना ज़रूरी
है। एक महीने बाद
जब स्कुल पहुँचा
तो पिछला काम पाने
के लिए स्कूल के
सबसे अच्छे छात्र
को खुश करने के
लिए उसकी तारीफ़
की, उसको सराहा और कक्षा
कार्य मांगा तो
उसने तुरंत मदद
कर दी। प्रश्न
- शुद्ध सोने में
ताबे की मिलावट
या ताँबें
में सोना, गाँधीजी के आदर्श और व्यवहार
के संदर्भ में
यह बात किस तरह
झलकती है? स्पष्ट
कीजिए। उत्तर
- शुद्ध सोने में
तांबे की मिलावट
का अर्थ है- आदर्शवाद
में व्यवहारवाद
को मिला देना. अधिक
लोग यही काम करते
हैं. जबकि तांबे
में सोने की मिलावट
का अर्थ है- व्यवहारवादी
बातों में भी आदर्शवाद
को उतार लाना. गाँधीजी व्यवहारिकता
की कीमत जानते
थे। इसीलिए वे
अपना विलक्षण
आदर्श चला सके।
लेकिन अपने आदर्शों
को व्यावहारिकता
के स्वर पर उतरने नहीं
देते थे। वे सोने
में तांबा नहीं
बल्कि ताँबे
में सोना मिलाकर
उसकी कीमत बढ़ाते
थे। इसलिए उनके
आदर्श कालजयी
हुए। प्रश्न
- गिरगिट कहानी
में आपने समाज
में व्याप्त अवसरानुसार
अपने व्यवहार
को पल-पल में बदल
डालने की एक बानगी
देखी। इस पाठ के
अंश श्गिन्नी
का सोनाश्
का संदर्भ में
स्पष्ट कीजिए
कि श्आदर्शवादिताश्
और श्व्यवहारिकताश्
इनमें से जीवन
में किसका
महत्व है? उत्तर
- गिरगिट कहानी
में स्वार्थी
इंस्पेक्टर पल-पल
बदलता है। वह अवसर
के अनुसार अपना
व्यवहार बदल लेता
है। श्गिन्नी
का सोनाश्
कहानी में इस बात
पर बल दिया गया
है कि आदर्श शुद्ध
सोने के समान हैं।
इसमें व्यवाहिरकता
का ताँबा मिलाकर
उपयोगी बनाया
जा सकता है। केवल
व्यवहारवादी
लोग गुणवान लोगों
को भी पीछे छोड़कर आगे
बढ़ जाते हैं। यदि
समाज का हर व्यक्ति
आदर्शों को छोड़कर आगे
बढ़ें तो समाज
विनाश की ओर जा
सकता है। समाज
की उन्नति सही
मायने में वहीं
मानी जा सकती है
जहाँ नैतिकता
का विकास, जीवन के मूल्यों
का विकास हो। प्रश्न
- लेखक के मित्र
ने मानसिक रोग
के क्या-क्या कारण
बताए? आप इन कारणों
से कहाँ तक सहमत
हैं? उत्तर
- लेखक के मित्र
ने मानसिक रोग
के कारण बताएँ
हैं कि मनुष्य
चलता नहीं दौड़ता
है, बोलता
नहीं बकता है,
एक महीने का
काम एक दिन में
करना चाहता है,
दिमाग हज़ार
गुना अधिक गति
से दौड़ता है।
अतरू तनाव
बढ़ जाता है। मानसिक
रोगों का प्रमुख
कारण प्रतिस्पर्धा
के कारण दिमाग
का अनियंत्रित
गति से कार्य करना
है। प्रश्न
- लेखक के अनुसार
सत्य केवल वर्तमान
है, उसी में
जीना चाहिए। लेखक
ने ऐसा क्यों कहा
होगा? स्पष्ट
कीजिए। उत्तर
- लेखक के अनुसार
सत्य वर्तमान
है। उसी में जीना
चाहिए। हम अक्सर
या तो गुजरे
हुए दिनों की बातों
में उलझे रहते
हैं या भविष्य
के सपने देखते
हैं। इस तरह भूत
या भविष्य काल
में जीते हैं।
असल में दोनों
काल मिथ्या हैं।
वर्तमान ही सत्य
है उसी में जीना
चाहिए। निम्नलिखित
के आशय स्पष्ट
कीजिए − प्रश्न
- समाज के पास अगर
शाश्वत मुल्यों
जैसा कुछ है तो
वह आर्दशवादी
लोगों का ही दिया
हुआ है। उत्तर
- आदर्शवादी लोग
समाज को आदर्श
रूप में रखने वाली
राह बताते हैं।
व्यवहारिक आदर्शवाद
वास्तव में व्यवहारिकता
ही है। उसमें आदर्शवाद
कहीं नहीं होता
है। प्रश्न
- जब व्यवहारिकता
का बखान होने लगता
है तब प्रेक्टिकल
आइडियालिस्टों
के जीवन से आदर्श
धीरे-धीरे पीछे
हटने लगते
हैं और उनकी व्यवहारिक
सूझ-बूझ ही आगे
आने लगती है? उत्तर
- व्यावहारिक आदर्शवाद
वास्तव में व्यवहारिकता
ही है। वह केवल
हानि-लाभ तथा अवसरवादिता
का ही दूसरा नाम
है। प्रश्न
- हमारे जीवन की
रफ़्तार बढ़
गई है। यहाँ कोई
चलता नहीं बल्कि
दौड़ता है।
कोई बोलता नहीं, बकता है। हम जब
अकेले पड़ते
हैं तब अपने आपसे
लगातार बड़बड़ाते
रहते हैं। उत्तर
- जीवन की भाग-दौड़, व्यस्तता तथा
आगे निकलने की
होड़ ने लोगों
का चैन छीन लिया
है। हर व्यक्ति
अपने जीवन में
अधिक पाने की होड़ में भाग
रहा है। इससे तनाव
व निराशा बढ़ रही
है। प्रश्न
- सभी क्रियाएँ
इतनी गरिमापूर्ण
ढंग से कीं
कि उसकी हर भंगिमा
से लगता था मानो
जयजयवंती
के सुर गूँज रहे
हों। उत्तर
- चाय परोसने
वाले ने बहुत ही
सलीके से काम
किया। झुककर प्रणाम
करना, बरतन
पौंछना, चाय डालना सभी
धीरज और सुंदरता
से किए मानो कोई
कलाकार बड़े ही
सुर में गीत गा रहा हो। |
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निम्नलिखित
प्रश्नों के उत्तर
एक या दो पंक्तियों
में दीजिए − प्रश्न - कर्नल कालिंज
का खेमा जंगल में
क्यों लगा हुआ
था? उत्तर - कर्नल कांलिज, वज़ीर अली को गिरफ़्तार
करने के लिए जंगल
में खेमा डाले
बैठा था। पूरी
फौज उसके साथ थी। प्रश्न - वज़ीर अली से
सिपाही क्यों
तंग आ चुके थे? उत्तर - वज़ीर अली ने
कई बरसों से अंग्रेज़ों
की आँख में धूल
झोंककर उनकी
नाक में दम कर रखा
था। इसलिए वे वज़ीर अली से
तंग आ चुके थे। प्रश्न - कर्नल ने सवार
पर नज़र रखने
के लिए क्यों कहा? कर्नल
ने सवार पर नज़र रखने के
लिए इसलिए कहा
क्योंकि धूल के
उड़ने से उसने
अंदाज लगाया कि
लोग ज़्यादा
हैं और वज़ीर
को ढूंढ़ रहे
हैं। प्रश्न - सवार
ने क्यों कहा कि
वज़ीर अली की
गिरफ़्तारी
बहुत मुश्किल
है? सवार खुद वज़ीर अली था
जो कि बहुत बहादुर
था और शत्रुओं
को ललकार रहा था। निम्नलिखित
प्रश्न का उत्तर
(25-30 शब्दों में) लिखिए − प्रश्न - वज़ीर अली के
अफ़साने सुनकर कर्नल
को रॉबिनहुड
की याद क्यों आ
जाती थी? उत्तर - वज़ीर अली रॉबिनहुड की
तरह साहसी, हिम्मतवाला और बहादुर था।
वह भी रॉबिनहुड
की तरह किसी को
भी चकमा देकर भाग
जाता था। वह अंग्रेज़ी सरकार
की पकड़ में नहीं
आ रहा था। कम्पनी
के वकील को उसने
मार डाला था। उसकी
बहादुरी के किस्से
सुनकर ही कर्नल को रॉबिनहुड की
याद आती थी। प्रश्न - सआदत अली कौन
था? उसने
वज़ीर अली की
पैदाइश को अपनी
मौत क्यों समझा? उत्तर - सआदत अली वज़ीर अली का
चाचा और नवाब आसिफउदौला
का भाई था। जब तक
आसिफउदौला
के कोई सन्तान
नहीं थी, सआदत अली की नवाब बनने
की पूरी सम्भावना
थी। इसलिए उसे
वज़ीर अली की
पैदाइश उसकी मौत
लगी। प्रश्न - सआदत अली को
अवध के तख्त पर
बिठाने के
पीछे कर्नल
का क्या मकसद था? उत्तर - सआदत अली आराम
पसंद अंग्रेज़ों
का पिट्ठू था।
अंग्रेज़ कर्नल को उसे
तख्त पर बिठाने
का मकसद अवध की
धन सम्पत्ति
पर अधिकार करना
था। उसने अंग्रेज़ों
को आधी सम्पत्ति
और दस लाख रूपये
दिए। इस तरह सआदत अली को
गद्दी पर बैठने
से उन्हें लाभ
ही लाभ था। प्रश्न - कंपनी
के वकील का कत्ल
करने के बाद वज़ीर अली ने
अपनी हिफ़ाज़त
कैसे की? उत्तर - कंपनी
के वकील की हत्या
करने के बाद वज़ीर अली आजमगढ़ भाग
गया और वहाँ के
नवाब ने उसकी सहायता
की। उसे सुरक्षित
घागरा पहुँचा
दिया। तब से वह
वहाँ के जंगलों
में रहने लगा। प्रश्न - सवार
के जाने के बाद
कर्नल क्यों
हक्का-बक्का
रह गया? उत्तर - सवार, वज़ीर अली था। वह कर्नल के खेमे में कारतूस
लेने आया था और
बड़ी चतुराई से
वज़ीर अली का
कर्मचारी बनकर
आया। जाते समय
कर्नल ने नाम
पूछा तो उसने वज़ीर अली बताया।
वज़ीर अली को
सामने देखकर कर्नल हक्का-बक्का
रह गया। निम्नलिखित
प्रश्न का उत्तर
(50-60 शब्दों में) लिखिए − प्रश्न - लेफ़्टीनेंट
को ऐसा क्यों लगा
कि कंपनी के खिलाफ़ सारे
हिंदुस्तान में
एक लहर दौड़ गई है? उत्तर - लेफ़्टीनेंट
को जब कर्नल
ने बताया कि कंपनी
के खिलाफ़ केवल
वज़ीर अली ही
नहीं बल्कि दक्षिण
में टीपू सुल्तान, बंगाल में नवाब
का भाई शमसुद्दौला
भी है। इन्होंने
अफ़गानिस्तान
के बादशाह शाहेज़मा
को आक्रमण के लिए
निमत्रंण
दिया है। यह सब
देखकर लेफ़्टीनेंट
को आभास हुआ कि
कंपनी के खिलाफ़
पूरे हिन्दूस्तान
में लहर दौड़ गई
है। प्रश्न - वज़ीर अली ने
कंपनी के वकील
का कत्ल क्यों
किया? उत्तर - वज़ीर अली को
उसके नवाबी पद
से हटा दिया गया
और बनारस भेज
दिया गया। फिर
कलकत्ता बुलाया
तो वज़ीर अली
ने कंपनी के वकील, जोकि बनारस में
रहता था, उससे
शिकायत की परन्तु
उसने शिकायत सुनने
की जगह खरीखोटी
सुनाई। इस पर वज़ीर अली को
गुस्सा आ गया और
उसने वकील का कत्ल
कर दिया। प्रश्न - सवार
ने कर्नल से
कारतूस कैसे हासिल
किए? उत्तर - वज़ीर अली अकेला
ही घोड़े पर
सवार होकर अंग्रेज़ों
के खेमे में
पहुँच गया और कर्नल को दिखाया
कि वह भी वज़ीर
अली के खिलाफ़
है। उसने कर्नल
से अकेले में मिलने
के लिए कहा। कर्नल मान
गया और वज़ीर
अली के दस कारतूस
माँगने पर
उसने दे दिए परन्तु
जाते-जाते अपना
नाम बता गया जिससे
कर्नल हक्का-बक्का
रह गया। प्रश्न - वज़ीर अली एक
जाँबाज़ सिपाही
था, कैसे?
स्पष्ट कीजिए। उत्तर - वज़ीर अली को
अंग्रेज़ों
ने अवध के तख्ते
से हटा दिया पर
उसने हिम्मत नहीं
हारी। वज़ीफे
की रकम में मुश्किल
डालने वाले कंपनी
के वकील की भी हत्या
कर दी। अंग्रेज़ों
को महीनों दौड़ाता
रहा परन्तु फिर
भी हाथ नहीं आया।
अंग्रेज़ों
के खेमे में
अकेले ही पहुँच
गया, कारतूस
भी ले आया और अपना
सही नाम भी बता
गया। इस तरह वह
एक जाँबाज़
सिपाही था। भाषा अध्ययन प्रश्न - निम्नलिखित
मुहावरों का अपने
वाक्यों में प्रयोग
कीजिए −
उत्तर - आँखों
में धूल झोंकना, कूट-कूट कर भरना,
काम तमाम कर
देना, जान बख्श
देना, हक्का बक्का रह
जाना। (क) आँखों
में धूल झोंकना
− कातिल
कत्ल करने के बाद
इतनी सफ़ाई
से भागे कि
सिपाहियों की
आँखों में धूल
झोंक दी। (ख) कूट-कूट कर भरना
− झाँसी की रानी
में देशभक्ति
कूट-कूट कर भरी
थी। (ग) काम तमाम कर
देना −
बिल्ली ने चूहे
का काम तमाम कर
दिया। (घ) जान बख्श देना
− देश
के दुशमनों की
जान नहीं बख्शनी
चाहिए। (ङ) हक्का-बक्का
रह जाना −
अचानक चाचाजी
को सामने देखकर
सब हक्के-बक्के
रह गए। |
|||||||||||||||